श्री अन्तरिक्ष जी तीर्थ का इतिहास!
क्या आप जानते है के वर्तमान काल में सबसे प्राचीन जैन प्रतिमाएं कौन सी है??
१. श्री नेमिनाथ दादा, गिरनार तीर्थ!
२. श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ दादा, शंखेश्वर तीर्थ!
३. श्री अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ दादा, शिरपुर!
हम सब गिरनार तीर्थ और शंखेश्वर तीर्थ के बारे में तो बहुत कुछ जानते है, किन्तु अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ के बारे हमें अधिक जानकारी नहीं है!
श्री अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ तीर्थ की कुछ मुख्य बातें!
४२ इंच की अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ प्रभु की प्रतिमा ११,८०,००० वर्ष प्राचीन है!
प्रतिमा जी मिटटी और गाय के गोबर से प्रभु मुनिसुव्रत स्वामी के काल में बनी थी!
प्रतिमा की स्थापना देवलोक से स्वयं देवों ने की है न की किसी मनुष्य ने!
प्रतिमा जी जमीन को नहीं छूती, यह बिना किसी सहारे के पूर्णतया हवा में है और इसके नीचे से कपडा भी निकाला जा सकता है!
इस प्रतिमा जी का जिक्र सकल तीर्थ वंदना में भी आता है जो रोजाना प्रातः प्रतिक्रमण में बोली जाती है! इसी से इसकी महत्वता का पता चलता है!
परम पावन, प्रगट प्रभावी, अत्यंत प्राचीन, ऐतिहासिक श्री अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ प्रभु की महिमा का वर्णन करना लगभग असंभव ही है!
इस सब के बावजूद जैसे हर चीज़ के अच्छे और बुरे दिन आते है उसी प्रकार ये तीर्थ शायद अभी अपने बुरे समय से गुजर रहा है! इतना महत्त्व का होते हुए भी बहुत कम लोगो को इसकी जानकारी है!
श्वेताम्बर तथा दिगम्बर समप्र्दाय के आपसी झगडे के कारण आज ये अति प्राचीन प्रतिमा जी जिसकी नित्य प्रक्षाल और नवांग पूजा होती थी आज एक कमरे में बंद है तथा केवल एक झरोखे से दर्शन ही किये जा सकते है!
शिरपुर नज़दीक अकोला, महाराष्ट्र में स्थित इस तीर्थ के दर्शन वंदन को अवश्य जायें तथा प्रभु के दर्शन वंदन कर अपना जीवन सफल बनाएं!
अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ प्रभु की वर्ष १९८१ की और वर्तमान की तस्वीर!