सकल संघे विचारवा जेवी वात||Gross saṅghē vicāravā jēvī vata
आपणा जिनालयोमां हंमेशा पूजन अने पूजाओ भणातां रहे छे, कां तो तपश्चर्या, कां तो मरण, एमां मरण निमित्ते भणाती पूजानुं प्रमाण वधारे होय छे, मोटा भागे अंतराय कर्मनिवारण पूजा अथवा पंचकल्याणक पूजा भणाय छे,
मरण-निमित्ते भणावाती आवी पूजामां एक नवी बाबत जोवा मळे छे, जेना मरण अंगे पूजा होय तेना परिवारना-स्वजनो शोकदर्शक सफेद वस्त्रोमां आवे, 3-4 पूजा पती जाय अने लगभग बधां स्वजनो आवी जाय एटले संगीतकार,पूजाना बदले,मरनार व्यक्ति-मा, बाप, सासु, ससरा, जे होय तेना नामे एक लांबुं गीत गाय, गीतना शब्दो अने सूर विलापना,वियोगना,शोकना होय,एमां मरनारना गुणो अने उपकारोनुं वर्णन थाय, गीत तो एक ज सर्वत्र बोलातुं होय,फक्त व्यक्तिनुं नाम बदलातुं रहे, ए नाम वर्णन सांभळीने बधांनी आंखो भीनी थाय, रडे, अने मरनारने शोकांजलि आपे,
पूजानो आ मुख्य कार्यक्रम, लगभग तो आटला माटे ज पूजा भणाती होय, आवुं जोईए त्यारे पूजामां नहि, पण उठमणांमां – आव्यां होवानो वहेम पडे !
भगवाननी सामे, देरासरमां, भगवाननी पूजा दरम्यान, आवां
उठमणांरूप कार्यक्रमो थतां रहे, अने एमां कोई जैनने प्रभुजीनी घोर आशातना के अपमान थतुं होवानो अंदेशो पण न जागे ! प्रभुना दरबारमां आवुं करवामां गाढ मोहनीय कर्मो बंधाय एनी बीक पण न होय अने समज पण न होय ! जिनालयना ट्स्टीओने अने अधिकारीजनोने पण प्रभुनी आ अवहेलना रोकवानी समजण ना ऊगे, त्यारे हैये घेरी वेदना अनुभवाय छे,
आवी पूजामां जवानुं मन नथी थतु, जवाय पण शी रीते ? जईए तो आशातनामां आपणे पण सहभागी ज बनी जईए !
मृत्युं पछी बेसणानो,पथरणानो के उठमणानो कार्यक्रम तो थतो ज होय छे, हवे तो प्रार्थनाओ पण योजाय छे; ते बधामां आवी शोकांजलिओ आपी शकाय छे ज, पण ते बधामां करवानो प्रोग्राम देरासरोमा शा माटे ?
विडंबनानी वात तो ए छे के हवे तो मरण पछी थती प्रार्थनामां पण गुरूमहाराजो व्याख्यानना -सांत्वनना बहाने हाजरी आपवा लाग्या छे !
मारी तो एटली भलामण छे के तमे बधां तमारा घरमां, वर्तुळमां, आवो प्रसंग आवे त्यारे,देरासरमां आवी प्रभु-आशातना करशो नहिं, अने थवा देशो पण नही,
परमात्मानी पूजा तो दिलमां व्यापेला शोकने ने पीडा ने शांत पाडवा माटे अने हैयांने हळवां बनाववा माटेनी क्रिया छे, तेने ‘शोक’ मां शा माटे फेरवीए ? अने एम करीने चीकणां पाप शा माटे बांधीए ?