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पहेलो अ1रो = 4कोडाकोडी सागरोपम वर्ष
बीजो आरो = 3कोडाकोडी सागरोपम वरस
तीजो आरो= २ कोडाकोडी सागरोपम वरस मा 89 पक्ष बाकि हता( पोना चार वरस बाकि) त्यारे आदिनाथ भगवान निर्वाण थया🙏
चौथो आरो = 1 कोडाकोडी सागरोपम वरस मा 42 हजार वरस ओछा
(89पक्ष बाकि त्यारे महावीर स्वामी 🙏नो निर्वाण थयो)
पाचमो आरो= 21हजार वर्ष ( हजु पाचमो आरो चालु छे,2800 वर्ष व्यतीत)
महावीर भ. ना निर्वाण बाद 64 वरस पछी आ अवसर्पिणी काल ना छेल्ला मोक्षगामी “जंबूस्वामि”पाचमा आरा मा निर्वाण थया
छठो आरो= 21 हजार वर्ष
4+3+2+1=10 कोडाकोडी सागरोपम वर्ष= वर्तमान अवसर्पिणी काल
+10कोडाकोडी सागरोपम =गत उत्सर्पिणी काल
10+10=20 कोडाकोडी सागरोपम= एक काल चक्र
कोडाकोडी मतलब १करोड×१करोड(14 वखत ०)
सागरोपम मतलब असंख्य पल्योपम
1पल्योपम मतलब असंख्य पुर्व
1पुर्व मतलब=7०,56,००००००००००
वरस
बिजा आरा मा सन्तान 👶 नु पालन मात्र 64 दिवस करवानु हतु
पछी सन्तान ने बधु कल्पवृक्ष 🌳थी मली जतु
तीजा आरा मा ऐटले 10 कोडाकोडी सागरोपम मा 9 कोडाकोडी सागरोपम विती गया मा मात्र 84 लाख पुर्व बाकि हता त्यारे 🙏आदिनाथ भ. नो जन्म थयो
🙏अजितनाथ भ. थी महावीर भ. 🙏सुधी 23तीर्थंकर चौथा आरा मा थया
चौथो आरो सुधी “अर्ध मागधी प्राकत भाषा ज जण साधारण नी भाषा हती
चौविशो तिर्थंकरे आ ज भाषा मा देशना आपी
संस्कृत भाषा विद्वानो नी भाषा गणाती
छठा आरा मा मानस नी आयु २० वर्ष हशे
पेहला आरा मा=” पुष्करावर्त मेघ” 🌧वरसता जेना थी 10,000 वरस सुधी वरसाद नी जरुर ना पडे
बिजा आरा मा =”प्रधर्मन मेघ”🌨 वरसता जेनाथी 1000 वरस नी शांति
तीजा ने चौथा आरा मा= “भभूत मेघ” ⛈1वार वरसता दस वरस नि शांति
पाचमा आरा मा= निम्न मेघ 🌦 घणीवार वरसे छे तोय जमीन रस कस वगर नी 🏜रहेशे
आ अवसर्पिणी काल मा मानस नी आयु ,ऊचाई ,बल निचे उतरता क्रम मा होय
🙏अनादिकाल थी शाश्वत शत्रुंजय गिरि 🌄नो प्रमाण पण उतरता क्रममा होय
पहेला आरा मा 80 योजन
छठा आरा मा 7 हाथ
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आवता काल चक्र ना उतसर्पिणी काल मा
पहेलो आरो =21000 वरस
बीजो आरो= 21000वरस
तीजो आरो=1 कोडाकोडी सागरोपम मा 42हजार वरस ओछा
पहेला तीर्थंकर थी 23 तीर्थंकर🙏 सुधी तीजा आरा मा थसे
पहेला तीर्थंकर- पद्मनाभ स्वामी🙏
(श्रेणीक राजा नो जीव ,उम्र 72 वरस)आज थी लगभग 82 हजार वरस पछी जन्म कल्याणक थसे
((अत्यारे नरक मा छे ,त्याथी सीधा तीर्थंकर रुपे जन्म लेशे))
11मा तीर्थंकर = मुनिसुव्रत स्वामि
(कृष्ण कि माँ देवकी का जीव)🙏
12मा तीर्थंकर=( कृष्ण का जीव) अममनाथ🙏
14मा तीर्थंकर = निष्पुलाक स्वामि (कृष्ण ना भाई बलदेव नो जीव)🙏
15 मा तीर्थंकर =निर्मम स्वामि🙏 (भरहेसर सज्झाय ना सुलसा नो जीव)
17 मा तीर्थंकर =समाधि नाथ🙏
(महावीर स्वामि 🙏 ने तेजोलेश्या नी पीडा ओछी करवा दवाई बनावी ए रैवती नो जीव)
20 मा तीर्थंकर =विजय स्वामि 🙏 (महाभारत ना कर्ण नो जीव)
चौथो आरो= 2कोडाकोडी सागरोपम
चौथो आरो बेसता ज 24मा तीर्थंकर-🙏 भद्रबाहु स्वामी नो जन्म ( बुद्ध नो जीव)84लाख पुर्व आयु ,
पाचमो आरो =3 कोडाकोडी सागरोपम
छठो आरो=4कोडाकोडी सागरोपम
1+2+3+4=10
एम 10 कोडाकोडी सागरोपम ना आवता उतसर्पिणी काल पछी 10 कोडाकोडी सागरोपम नो वर्तमान नी जेम नवो अवसर्पिणी काल थसे
ऐम बन्ने बीजो कालचक्र थसे
आ 10 -10कोडाकोडी सागरोपम ना दरेक उतसर्पिणी अने दरेक अवसर्पिणि काल मा ग्रह नक्षत्र मात्र 24-24 वखत ज उत्कृष्ट दिशा मा होय छे ज्यारे 🙏24 तीर्थंकर नो जन्म थाय छे
दरेक 5 भरत श्रेत्र ,अने 5 ऐरावत श्रेत्र मा आ प्रकारे एक सरखो काल चक्र चाले छे
दरेक 5 भरत अने 5 एरावत श्रेत्र मा पहेला थी 24 मा तीर्थंकर 🙏ना ऐक साथे ज बधा पाचो कल्याणक आवे
दरेक भरत अने एरावत श्रेत्र ना लोको आपणा जेम ज अत्यारे जीवन जीवी रह्या छे
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महाविदेह मा कालचक्र जुदो होय
त्या बधा 20 विहरमान तिर्थंकर 🙏ना एक साथे 17 मा तीर्थंकर कुन्थुनाथ🙏 ना निर्वाण पछी जन्म कल्याणक थया
20 मा तीर्थंकर मुनिसुव्रत स्वामि🙏 पछी ऐमना दिक्षा कल्याणक थया
बधा 20 तीर्थंकर🙏83 लाख पुर्व आयु ग्रहस्थाश्रम मा रहीने छेल्ले 1 लाख पुर्व आयु शेष रहे त्यारे दिक्षा ले छे
एम दर 1 लाख पुर्व पछी नवा 20 तीर्थंकर नो जन्म थाय छे
अने आवती चौविशी ना 7 मा भ. “उढाल स्वामि “🙏पछी बधा 20 विहरमान तीर्थंकर🙏 ऐमनी 84 लाख पुर्व आयु पुरी करीने एक साथे निर्वाण थसे
त्यारे बीजा 20 तीर्थंकर दीक्षा लेसे
आ महाविदेह नो अटल नियम छे
20 तीर्थंकर ज्यारे निर्वाण थाय त्यारे बिजा 20 तीर्थंकर दिक्षा ले छे
एम पांचो महाविदेह मा तिर्थंकर नो क्यारेय अभाव नथी होतो
बधा 20 भ. नो 84 लाख पुर्व आयुष्य
83 लाख पुर्व वरस ग्रहस्थाश्रम
1लाख पुर्व नो चारित्र (दिक्षा)
बधा ने 84-84 गणधर
प्रत्येक साथे 10-10 लाख केवलि परमात्मा🙏
प्रत्येक साथे 1-1अरब साधु
प्रत्येक साथे 1-1 अरब साध्वि
प्रत्येक साथे 9-9 अरब श्रावक
प्रत्येक साथे 9-9 अरब श्राविका
ऐम 84 लाख पुर्व आयु मा बीजा 83 वखत दर 1 लाख पुर्व वरसे नवा 20 – 20 तीर्थंकर ऐम 83×20=1660 तीर्थंकर मात्र एक महाविदेह श्रेत्र मा ग्रहास्थाश्रम मा होय
कुल पांच महाविदेह मा 1660×5=8300 तिर्थंकर🙏 ग्रहस्थाश्रम मा अत्यारे छे
8300 मा थी 20×5=100 तिर्थंकर सीमंधर स्वामि आदि 100 तिर्थंकर🙏 ना निर्वाण ने समये दिक्षा लेशे
ऐम वीसो विहरमान ना प़ांचो कल्याणक ऐक साथे ज आवे
जंबू द्वीप मा 1,घातकी खंड मा 2,अने अर्ध पुष्कवर द्वीप मा 2(1+2+2=5) एम कुल पाचो महाविदेह मा 20-20 तीर्थंकर 🙏होय अने काल चक्र बधा पांचो महाविदेह मा एक सरखो अने अही थी जुदो होय
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ऐम अनादि- अनादिकाल थी अनन्ता कालचक्र थया
अनन्ता चौविशी 🙏थई
आपणी अजर ,अमर ,आकार रहित अनन्ता कर्मो थी बंधायेली शाश्वती आत्मा 🌟 अनादिकाल थी अनन्ता भव करीने
निगोद ना🍃,?🍋🌽
तिर्यंच ना,🕷🐍🐸🐝🐋🐆
मनुष्य 👤👥ना
देवगति ⛲ना
,नरकगति👺 ना
अनन्ता अनन्ता जन्म मरण ना बंधन 🕸 मा थी मुक्त थई ने आत्मा ना🌟 निज स्वरुप ने प्राप्त करी सिद्ध पद ने पामे
ऐ ज मंगल कामना
एक साधु पासेथी मलेल विगत नो आ मेसेज वांचता 5 मिनिट लागे
शेयर करता 5 सेकंड लागे
5 परमेष्टी नो आशीर्वाद मले
5मी गति मोक्ष मा स्थान मले
🙏🙏🙏🙏धन्यवाद🙏🙏🌹