Categories : Jain Mantra, JAINISM Mantra For Eye Therapy | नेत्र चिकित्सा मंत्र Mantra For Eye Therapy | नेत्र चिकित्सा मंत्र सोहं तथापि तव भक्ति-वशान्मुनीश, कर्तुं स्तवं विगत-शक्ति-रपि प्रवृतः । प्रीत्यात्म-वीर्य-मविचार्य्य मृगी मृगेन्द्रं, नाभ्येति किं निज-शिशोः परि-पालनार्थम् ॥ मंत्र संख्या : प्रतिदिन 1 माला परिणाम : नेत्ररोग निवारक | नेत्र चिकित्सा मंत्र सोहं तथापि तव भक्ति-वशान्मुनीश कर्तुं स्तवं विगत-शक्ति-रपि प्रवृतः । प्रीत्यात्म-वीर्य-मविचार्य्य मृगी मृगेन्द्रं नाभ्येति किं निज-शिशोः परि-पालनार्थम् ॥ मंत्र संख्या : प्रतिदिन 1 माला | परिणाम : नेत्र रोग दूर होते है | नेत्र चिकित्सा मंत्र सिंहासने मणि-मयूख-शिखा-विचित्रे विभाजते तव वपुः कानका-वदातम । बिम्बं वियद्-विलस-दंशु-लता-वितानं तुंगोदयाद्रि-शिरसीव सहस्त्र-रश्मेः ॥ मंत्र संख्या : प्रतिदिन 1 माला | प्रयोग विधि : 108 बार पानी को अभिमंत्रित कर रोगी को पिलाएं | परिणाम : नेत्र पीड़ा दूर होते है | सर्प आदि का विष उतर जाता है | Related Articles Mantra For Abdominal Therapy | उदर चिकित्सा मंत्र Mantra For Healing | आरोग्य मंत्र Mantra For Universal Victory | सर्वत्र विजय मंत्र Mantra For Victory Supplier | विजय प्रदायक मंत्र Mantra For Dread Deterrent | भय निवारक मंत्र