Samyag Darshan Pad Ke 67 Gun | Navpad Aaradhna
सम्यग् दर्शन पद के 67 गुणों
सम्यग् दर्शन का अर्थ है, सच्ची श्रद्धा, सत्य तत्वों में गहरी आस्था, सही दृष्टी, मार्ग या दिशाबोधा जिनवाणी पर अटूट श्रद्धा होने पर ही जीव सम्यग् दर्शन का अनुभव कर सकता है, और मिथ्यात्त्व से सावधान हो सकता है, अर्थात सही क्या और गलत क्या…? उसका ज्ञान शास्त्र कहते है, सम्यग् दर्शन के बिना ज्ञान और चारित्र नही। जीवात्मा को जब सम्यग् दर्शन होता है, उसकी इस निराशाजनक अंधकारमयी अवस्था में आशा का दीप जलाता है,रास्ता स्पष्ट होने लगता है। सत्य कथन जो वीतराग जिनेश्वर ने फ़रमाया है, उसमें श्रद्धा जागृत होती है…. सम्यग् ज्ञान चारित्र की ओर स्वतः ही अग्रसर हो जाता है। सम्यग् दर्शन का अवतरण होना आत्मोन्नति की प्रथम सीढ़ी है ।सम्यग् दर्शन पद के 67 गुणों इस प्रकार से है,
4 श्रद्धा
3 लिंग
10 विनय के प्रकार
3- शुद्धि
5- दुषण
8 -प्रभावक
5 -भूषण
5-लक्षण
6- जयणा
6- आगार
6- भावना
6 -स्थान
यह सब मिलाकर 67 गुणों से भरपूर सम्यग् दर्शन पद सर्वश्रेष्ठ है। जो मुक्ति मार्ग पर चलने के लिए आलंबन है। पूज्य उपाध्याय यशोविजयजी महाराज द्वारा समकित के 67 बोल पर अद्भुत ‘विवेचना सह सज्झाय की रचना की गई है । मोक्ष पद की प्राप्ति हेतु सम्यक्त्व होना चाहिए और सम्यक्त्व के लिए यह 67 बोल से अपने आप को चेक कर सकते है कि हमें कितने प्रमाण से समकित मिला है। जैसे कि में बुखार थर्मोमीटर से चेक होता है वैसे से समकित की प्राप्ति को देख सकते है। अपने जीवन में वैसे तत्व स्वरूप सम्यग् दर्शन पद की आराधना करते रहे शुभ भाव में स्थित रहे वैशी आशा सह जाप करते हैं….