Kaise jaye Moksh mai ??

Kaise jaye Moksh mai ??

Kaise jaye Moksh mai ??

जिसे मोक्ष में जाने की इच्छा हो, उसे अपना खुद का ‘सेल्फ रीयलाइज़’(स्वरूप का ज्ञान) करना पड़ेगा, नहीं तो और कितना भी करोगे, लेकिन मोक्ष नहीं होगा।

जो है वह’ दिखाई नहीं देता और ‘जो नहीं है वह’ दिखाई देता है, इसीका नाम मोह!

क्रियामात्र बंधन है। मोक्ष के लिए क्रिया की ज़रूरत नहीं है। मोक्ष के लिए ज्ञानक्रिया की ज़रूरत है। अज्ञानक्रिया वह बंधन है। अहंकारी क्रिया को अज्ञानक्रिया कहते हैं और निर्हंकारी क्रिया को ज्ञानक्रिया कहा जाता है।

मन ही मोक्ष में ले जानेवाला है और संसार में भटकानेवाला भी मन ही है। सिर्फ उसे सीधा करने की ज़रूरत है। जो उल्टा हो गया है, उसे सीधा करने की ज़रूरत है।

जहाँ कषाय हैं, वहाँ वीतराग धर्म है ही नहीं। भगवान को त्याग की ज़रूरत नहीं है। कषाय रहित होने की ज़रूरत है। कषाय रहित को मोक्षधर्म कहा है और त्याग को संसार धर्म कहा है।

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