किंबहुणा जिणधम्मे , जइयव्वं जह भवोदहिं घोरं । लहु तरिउमणंतसुहं , लहइ जिओ सासयं ठाणं ॥१०४ ॥ : अर्थ : ज्यादा कहने से क्या फायदा ! भयङ्कर ऐसे भवोदधि को सरलता से पारकर अनन्त सुख का शाश्वत स्थान जिस प्रकार से प्राप्त हो , उस प्रकार से जिनधर्म में यत्न…
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