Vairagya Shatak Gatha 2 Jain Stotra

  • 2. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

    अज्जं कल्लं परं परारिं, पुरिसा चिंतंति अत्थसंपत्तिं । अंजलिगयं व तोयं , गलंतमाउं न पिच्छंति ॥२ ॥ : अर्थ : आज मिलेगा … कल मिलेगा … परसों मिलेगा । इस प्रकार अर्थ / धन की प्राप्ति की आशा में रहा मनुष्य अंजलि में रहे हुए जल की भाँति क्षीण होते…

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