पूज्य आचार्य श्री विजय सिद्धसेन-दिवाकर सूरि विरचित श्री वर्धमान-शक्रस्तव (Vardhaman Shakrastav) कृतज्ञताके छे वाक्यो जयतु जयतु नित्यं श्री वीतराग ।। जयतु जयतु नित्यं श्री वर्धमान शक्रस्तव।। जयतु जयतु नित्यं श्री शकेन्द्र महाराजा।। जयतु जयतु नित्यं श्री सिद्धसेन दिवाकर सूरी।। जयतु जयतु नित्यं श्री श्रुतवाणी॥ ॐ नमोऽर्हते १ भगवते, २ परमात्मने,…
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