Categories : Jain Stotra, JAINISM 2. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक अज्जं कल्लं परं परारिं, पुरिसा चिंतंति अत्थसंपत्तिं । अंजलिगयं व तोयं , गलंतमाउं न पिच्छंति ॥२ ॥ : अर्थ : आज मिलेगा … कल मिलेगा … परसों मिलेगा । इस प्रकार अर्थ / धन की प्राप्ति की आशा में रहा मनुष्य अंजलि में रहे हुए जल की भाँति क्षीण होते आयुष्य को नहीं देखता है ।।2 ।। Related Articles 3. Shree Uvvasaggaharam Stotram | श्रीउवसग्गहरं स्तोत्रम् 2. Namskar Mantrastotram | नमस्कार मन्त्रस्तोत्रम 1. Aatma Raksha Stotra | आत्मरक्षास्तोत्रम् 104. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक 103. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक