श्री धर्मधुरंधरसूरीश्वर्जी म.सा.
श्रुतभास्कर गच्छाधीपति आचार्य श्री धर्मधुरंधरसूरीश्वर्जी म.सा.
आचार्य श्रीमद् विजय धर्मधुरंधर सूरीश्वर्जी महाराज जैन समाज में अच्छी तरह से
ज्ञात नाम है। इन्होनें दीक्षा ११ साल की उम्र में ली थी। वह “आचार्य श्रीमद् समुंदरसूरीश्वर्जी महाराज” के अनुयायी है। अपने गुरु
के मार्गदर्शन के तहत उन्होंने जैन धर्म और अन्य धर्म
का गहरा अध्ययन किया है। उनके आध्यात्मिक
ज्ञान और विवेक के कारण “आचार्य पदवी“ हासिल कि। इन दिनों वह समाज के रूप में अच्छी तरह से प्रसिद्ध उपदेशक है |यह ‘जैनसाहित्य’
हस्तलिखित है। वह ग्रंथ “श्री शांतिनाथ चरायम”,“स्थान परकरण“ की अनुसंधान का
उल्लेखनीय काम किया|
श्रुतभास्कर गच्छाधीपति आचार्य श्री धर्मधुरंधरसूरीश्वर्जी म.सा.
आचार्य श्रीमद् विजय धर्मधुरंधर सूरीश्वर्जी महाराज जैन समाज में अच्छी तरह से
ज्ञात नाम है। इन्होनें दीक्षा ११ साल की उम्र में ली थी। वह “आचार्य श्रीमद् समुंदरसूरीश्वर्जी महाराज” के अनुयायी है। अपने गुरु
के मार्गदर्शन के तहत उन्होंने जैन धर्म और अन्य धर्म
का गहरा अध्ययन किया है। उनके आध्यात्मिक
ज्ञान और विवेक के कारण “आचार्य पदवी“ हासिल कि। इन दिनों वह समाज के रूप में अच्छी तरह से प्रसिद्ध उपदेशक है |यह ‘जैनसाहित्य’
हस्तलिखित है। वह ग्रंथ “श्री शांतिनाथ चरायम”,“स्थान परकरण“ की अनुसंधान का
उल्लेखनीय काम किया|