6 Gaau Ni Yaatra Nu Mahatav Bhaadwa Giri Je Shatrunjay Nu 5mu Shikhar Che Ena Uparthi Shri Krishna Putro Shaamb Ane Pradhyuman 8.5 Karod Muni Raaj Sathe Mokshe Sidhavya Hata A Giri Ni Sparshana Karvanu Mahatva Che 1 Var Dwarka Nagri Ma NEMI NATH PRABHU Padharya Tyare Shri Krishna…
Serisa Parshvnath’s History
श्री शेरिसा पार्श्वनाथ श्री शेरीसा पार्श्वनाथ – श्री शोरीसा तीर्थ कहा जाता है की शोरिसा किसी समयसोनपुर नगरी का एक अंग था| आज उस सोनपुर का तो नामोनिशान नहीं है, लेकिन शेरिसा आज भी एक भव्य व मनोरम तीर्थ स्थान है| इस जगह की प्राचीनता के चिन्ह खण्डहर अवशेषों व…
Kalikund tirth’s history
तिर्थ वंदना तिर्थ भूमि कलिकुंड/kalikund tirth पर्श्वंनाथ प्रभू दीक्षा के बाद प्रथम पारणु सारथधन के घर कर विहार कर कादंबरी नामक अटवि मे पधारे वहां निर्मल नीर से भरे कमल के फूल से महकते हंस आदि पक्षी से गुजते कुंड नामक सरोवर के पास पीपल के वृक्ष के नीचे काऊसग…
Shri Ahichchatra tirth history
तिर्थ वंदना तिर्थभूमि श्री अहिच्छत्रा नगरी /Shri Ahichchhatra Tirth पार्श्वनाथ प्रभू विहार कर तापस के धर के पीछे वड के नीचे काऊसग ध्यान में खडे रहे तब कमठ जो मेधमाली हुआ था यह आकर ऊपसर्ग करने लगे बाद में उसने गाज वीज के साथ बरसात चालु की तब धरणेन्द पद्मावतिजी…
Shatrunjay Palitana History
The Shatrunjay Mahatirth, Palitana temples are considered the most sacred pilgrimage place (tirtha) by the Jain community. There are more than 1300 temples located on the Shatrunjaya hills, exquisitely carved in marble. The main temple on top of the hill, is dedicated to 1st tirthankar lord Adinath (Rishabdeva). According to…
Siddhachal Bhavyatra
Shree Shatrunjay Mahatirth Bhavyatra श्री शत्रुंजय महातीर्थ की भावयात्रा श्री शत्रुंजय महातीर्थ के जितने गुणगान किये जाएँ वे कम है । चॊदह राजलोक मे ऎव्सा एक भी तीर्थ नहि है जिसकी तुलना शत्रुंजय तीर्थ से कर सके । वर्तमान मे भरतक्षेत्र मे तिर्थंकर नहीं है, केवलज्ञानी नहीं है, विशिष्ट ज्ञानी…
Jain Bhai dooj History
Jain Bhai dooj History Bhai bij विर प्रभू का निर्वाण समाचार मिलते ही तुरत नंदीवर्धन अपापुरी आये और प्रभू के शरीर के पास रूदन करते बोलने लगे है मुझे बताएं बिना आप चल पडे आप को मालूम था तो मुझे बताया होगा तो मे हाजिर रह शकता हे प्रभु तुम्हारे…
When writing the book from the beginning
पुस्तक लेखन कब से प्रारंभ हुआ श्री बुद्धिसागर सूरिजी ने अपनी तत्त्वज्ञान दीपिका पुस्तक के पृ. १३ पर श्री महावीर परमात्मा के समय में भी पुस्तकें लिखी जाती थी, इस विषय मे अच्छा प्रकाश डाला है। हम उनके हि शब्दों में देखें। श्री हरिभद्रसूरिजी वीर संवत् एक हजारनी सालमां थया…