Categories : Jain Stotra, JAINISM 74. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक डहरा वुड्ढा य पासह , गब्भत्था वि चयंति माणवा । सेणे जह वट्टयं हरे , एवं आउखयंमि तुट्टइ ॥ ७४ ॥ : अर्थ : देखो ! बाल , वृद्ध और गर्भ में रहे मनुष्य भी मृत्यु पा जाते हैं । जिस प्रकार बाज पक्षी तीतर पक्षी का हरण कर लेता है , उसी प्रकार आयुष्य का क्षय होने पर यमदेव जीव को उठा ले जाता है ।। 74 ॥ Related Articles 3. Shree Uvvasaggaharam Stotram | श्रीउवसग्गहरं स्तोत्रम् 2. Namskar Mantrastotram | नमस्कार मन्त्रस्तोत्रम 1. Aatma Raksha Stotra | आत्मरक्षास्तोत्रम् 104. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक 103. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक