Charitra Pad ke 17/70 Gun | Navpad Aaradhna

Charitra Pad ke 17/70 Gun | Navpad Aaradhna

Charitra Pad ke 17/70 Gun | Navpad Aaradhna

Charitra Pad ke 17/70 Gun | Navpad Aaradhna

चारित्र पद के 17/70 गुणों

                                    सम्यग् चारित्र पद की आराधना को प्राणवंती बनाने के लिए चारित्र पद को जानना अत्यंत जरुरी है। चारित्र के पर्यायवाची शब्द है जैसे की संयम – दीक्षा – प्रव्रज्या सन्यास आदि… प्राकृत भाषा में चरित शब्द का प्रयोग किया है। सभी शब्द का अर्थघटन करें तो अंतिम में अर्थ (तात्पर्य) वही है कि संसार की मोह-माया से पर होना यानि चारित्र चारित्र यानि आचरण है। आपका आचरण सत्य, शुद्ध है तो वह सम्यग् चारित्र और यदि आचरण असत्य, अशुद्ध है तो वह मिथ्या है। सम्यम् चारित्र के गुणों ७० है और वैसे चारित्र १७ प्रकार का है जिसके कारण वह १७/७० दोनो रुप से माना गया है। “चारित्र विण नहि मुक्ति रे” यदि मुक्ति (भोक्ष) पाना है तो चारित्र लेना आवश्यक है। चारित्र के पालन में यह सीत्तेर गुणों का ध्यान रखना भी अत्यंत जरुरी है।

चारित्र मार्ग को पुष्ट करने के लिये चरण सीत्तरी के सीत्तेर गुणों

पांच महाव्रत – 5 , दश प्रकार के यतिधर्म – 10 , सत्तर प्रकार के संयम- 17, अरिहंत आदि दश की वैयावच्च- 10 , नव प्रकार से ब्रह्मचर्य शुद्धि की वाड-9, ज्ञानादिक त्रीक-3, छ बाह्य छ अभ्यंतर मिलकर बार प्रकार से तप 12. क्रोधादि चार कषायों का निग्रह 4 यह सीत्तेर प्रकार से चरण सित्तरी के चारित्र मार्ग को पृष्ट करने के गुण है।

इन्द्रियो के २३ विषयो के प्रति संयम के लिए करण सीत्तरी के सीत्तेर गुणों

अशनादि बार भावना-12, साधु की बार प्रतिभा-12, पांच इन्द्रियो का संयम-5, पच्चीश प्रकार से प्रतिलेखन-25, तीन गुप्ति-3, द्रव्यादिक चार प्रकार से अभिग्रह 4, यह सीत्तेर प्रकार से करण सीतरी के गुणों इन्द्रियों के विषयों पर समभाव धारण करके उत्कृष्ट आराधना में सहयोग देते हैं। संसार से पर सर्व साधु भगवंत (श्रमण श्रमणी) की आज के पति दिन पर अनुमोदना व नमस्कार करते है । जिससे चारित्र मोहनीय कर्म का क्षय हो और जल्दी चारित्र की जीवन मेंप्राप्ति हो । चारित्र का पालन न कर सको तो चारित्र अनुमोदन करके जीवन को उज्जवल बनायें ।

॥ नमो चारित्तस्स ॥

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