1. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

1. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

1. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

संसारम्मि असारे ,

नत्थि सुहं वाहि – वेअणा – पउरे ।

जाणंतो इह जीवो ,

न कुणइ जिणदेसियं धम्मं ॥१ ॥

अथॅ

व्याधि – वेदना से प्रचुर इस असार संसार में लेश भी सुख नहीं है….. यह जानते हुए भी जीवात्मा जिनेश्वर भगवन्त द्वारा निर्दिष्ट धर्म का आचरण नहीं करता है ।।1।।

 

Related Articles

× CLICK HERE TO REGISTER