Categories : Jain Stotra, JAINISM 3. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक जं कल्ले कायव्वं , तं अज्जं चिय करेह तुरमाणा । बहुविग्घो हु मुहुत्तो , मा अवरण्हं पडिक्खेह ॥३ ॥ : अथॅ : जो धर्मकार्य कल करने योग्य है , उसे आज ही शीघ्र कर लो । मुहुर्त ( काल ) अनेक विघ्नों से भरा हुआ है , अतः अपराह्र पर मत डालो ।।3।। Related Articles 3. Shree Uvvasaggaharam Stotram | श्रीउवसग्गहरं स्तोत्रम् 2. Namskar Mantrastotram | नमस्कार मन्त्रस्तोत्रम 1. Aatma Raksha Stotra | आत्मरक्षास्तोत्रम् 104. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक 103. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक