Categories : Jain Stotra, JAINISM 10. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक कालंमि अणाईए , जीवाणं विविहकम्मवसगाणं । तं नत्थि संविहाणं , संसारे जं न संभवइ ॥१० ॥ : अर्थ : अनादिकालीन इस संसार में नाना कर्मों के आधीन जीवात्मा को ऐसा कोई पर्याय नहीं है , जो संभवित न हो ।।10।। Related Articles 3. Shree Uvvasaggaharam Stotram | श्रीउवसग्गहरं स्तोत्रम् 2. Namskar Mantrastotram | नमस्कार मन्त्रस्तोत्रम 1. Aatma Raksha Stotra | आत्मरक्षास्तोत्रम् 104. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक 103. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक