89. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

89. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

89. Vairagya Shatak | वैराग्य शतक

तहवि खणं पि कया वि हु

अन्नाण भुअंगडंकिआ जीवा ।

संसारचारगाओ न

य उव्वज्जंति मूढमणा ॥८ ९॥

: अर्थ :

अज्ञानरुपी सर्प से डसे हुए मूढ मनवाले जीव इस संसाररुपी कैद से कभी भी उद्वेग प्राप्त नहीं करते हैं ।।89।।

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